मैं न हिंदू न मुसलमान मुझे जीने दो, दोस्ती है मेरा इमान मुझे जीने दो,
कोई एहसान न करो मुझपे तो एहसान होगा, सिर्फ़ इतना करो एहसान मुझे जीने दो,
सबके दूख-दर्द को अपना समझ के जीना, बस यही है मेरा अरमान मुझे जीने दो,
लोग होते हैं जो हैरान मेरे जीने से, लोग होते रहे हैरान मुझे जीने दो,
कोई एहसान न करो मुझपे तो एहसान होगा, सिर्फ़ इतना करो एहसान मुझे जीने दो,
सबके दूख-दर्द को अपना समझ के जीना, बस यही है मेरा अरमान मुझे जीने दो,
लोग होते हैं जो हैरान मेरे जीने से, लोग होते रहे हैरान मुझे जीने दो,
जिन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं, और क्या जुर्म है पता ही नहीं,
इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं, मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं,
सच घटे या बडे तो सच न रहे, झूठ की कोई इन्तेहा ही नहीं,
जड़ दो चांदी में चाहे सोने में, आइना झूठ बोलता ही नहीं,
इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं, मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं,
सच घटे या बडे तो सच न रहे, झूठ की कोई इन्तेहा ही नहीं,
जड़ दो चांदी में चाहे सोने में, आइना झूठ बोलता ही नहीं,
शेख़ जी थोड़ी सी पी कर आइये, मए है क्या सही फिर हमें बतलाइए,
आप क्यों हैं सारी दुनिया से जुदा, आप भी दुश्मन मेरे बन जाइए,
क्या है अच्छा क्या बुरा बन्दा नवाज़, आप समझें तो हमें समझाइए,
जाने दिज्ये अक्ल बातें जनाब, दिल की सुनिये और पीते जाइए,
आप क्यों हैं सारी दुनिया से जुदा, आप भी दुश्मन मेरे बन जाइए,
क्या है अच्छा क्या बुरा बन्दा नवाज़, आप समझें तो हमें समझाइए,
जाने दिज्ये अक्ल बातें जनाब, दिल की सुनिये और पीते जाइए,
बे सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है, हम खफा कब थे मनाने की ज़रूरत क्या है,
आप के दम से तो दुनिया का भरम है कायम, आप जब हैं तो ज़माने की ज़रूरत क्या है,
तेरा कूचा, तेरा डर, तेरी गली काफी है, बे-ठिकानों को ठिकाने की ज़रूरत क्या है,
दिल से मिलने की तमन्ना ही नहीं जब दिल में, हाथ से हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है,
रंग आंखों के लिए, बू है दिमागों के लिए, फूल को हाथ लगाने की ज़रूरत क्या है,
वो कौन है, दुनिया में जिसे, गम नहीं होता, किस घर में खुशी होती है, मातम नहीं होता,
ऐसे भी हैं, दुनिया में जिन्हें, गम नहीं होता, एक गम हैं हमारा, जो कभी कम नहीं होता,
क्या सुरमा भरी, आंखों से, आंसू नहीं गिरते, क्या मेहंदी लगे, हाथों से, मातम नहीं होता,
कुछ और भी, होती है, बिगाड़ने की अदाएं, बनने मी सवारने मे, ये आलम नहीं होता
ऐसे भी हैं, दुनिया में जिन्हें, गम नहीं होता, एक गम हैं हमारा, जो कभी कम नहीं होता,
क्या सुरमा भरी, आंखों से, आंसू नहीं गिरते, क्या मेहंदी लगे, हाथों से, मातम नहीं होता,
कुछ और भी, होती है, बिगाड़ने की अदाएं, बनने मी सवारने मे, ये आलम नहीं होता
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें