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रविवार, 20 जनवरी 2013

RTI यानी हक की लड़ाई

RTI यानी हक की लड़ाई



RTI
आरटीआई
आरटीआई (राइट टु इन्फर्मेशन) यानी सूचना का अधिकार ने आम लोगों को मजबूत और जागरूक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। जम्मू-कश्मीर को छोड़कर यह कानून देश के सभी हिस्सों में लागू है। इस कानून के जरिए कैसे आप सरकारी महकमे से संबंधित अपने काम की जानकारी पा सकते हैं, बता रहे हैं सुदेश रंजन :

आरटीआई कानून का मकसद

- इस कानून का मकसद सरकारी महकमों की जवाबदेही तय करना और पारदर्शिता लाना है ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके। यह अधिकार आपको ताकतवर बनाता है। इसके लिए सरकार ने केंदीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों का गठन भी किया है।


- 'सूचना का अधिकार अधिनियम 2005' के अनुसार, ऐसी जानकारी जिसे संसद या विधानमंडल सदस्यों को देने से इनकार नहीं किया जा सकता, उसे किसी आम व्यक्ति को देने से भी इनकार नहीं किया जा सकता, इसलिए अगर आपके बच्चों के स्कूल के टीचर अक्सर गैर-हाजिर रहते हों, आपके आसपास की सड़कें खराब हालत में हों, सरकारी अस्पतालों या हेल्थ सेंटरों में डॉक्टर या दवाइयां न हों, अफसर काम के नाम पर रिश्वत मांगे या फिर राशन की दुकान पर राशन न मिले तो आप सूचना के अधिकार यानी आरटीआई के तहत ऐसी सूचनाएं पा सकते हैं।

- सिर्फ भारतीय नागरिक ही इस कानून का फायदा ले सकते हैं। इसमें निगम, यूनियन, कंपनी वगैरह को सूचना देने का प्रावधान नहीं है क्योंकि ये नागरिकों की परिभाषा में नहीं आते। अगर किसी निगम, यूनियन, कंपनी या एनजीओ का कर्मचारी या अधिकारी आरटीआई दाखिल करता है है तो उसे सूचना दी जाएगी, बशर्ते उसने सूचना अपने नाम से मांगी हो, निगम या यूनियन के नाम पर नहीं।

- हर सरकारी महकमे में एक या ज्यादा अधिकारियों को जन सूचना अधिकारी (पब्लिक इन्फर्मेशन ऑफिसर यानी पीआईओ) के रूप में अपॉइंट करना जरूरी है। आम नागरिकों द्वारा मांगी गई सूचना को समय पर उपलब्ध कराना इन अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है।

- नागरिकों को डिस्क, टेप, विडियो कैसेट या किसी और इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंटआउट के रूप में सूचना मांगने का हक है, बशर्ते मांगी गई सूचना उस रूप में पहले से मौजूद हो।

- रिटेंशन पीरियड यानी जितने वक्त तक रेकॉर्ड सरकारी विभाग में रखने का प्रावधान हो, उतने वक्त तक की सूचनाएं मांगी जा सकती हैं।

ये विभाग हैं दायरे में

- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री दफ्तर
- संसद और विधानमंडल
- चुनाव आयोग
- सभी अदालतें
- तमाम सरकारी दफ्तर
- सभी सरकारी बैंक
- सारे सरकारी अस्पताल
- पुलिस महकमा
- सेना के तीनों अंग
- पीएसयू
- सरकारी बीमा कंपनियां
- सरकारी फोन कंपनियां
- सरकार से फंडिंग पाने वाले एनजीओ

इन पर लागू नहीं होता कानून

- किसी भी खुफिया एजेंसी की वैसी जानकारियां, जिनके सार्वजनिक होने से देश की सुरक्षा और अखंडता को खतरा हो
- दूसरे देशों के साथ भारत से जुड़े मामले
- थर्ड पार्टी यानी निजी संस्थानों संबंधी जानकारी लेकिन सरकार के पास उपलब्ध इन संस्थाओं की जानकारी को संबंधित सरकारी विभाग के जरिए हासिल कर सकते हैं

राजधानी में आरटीआई

दिल्ली सरकार में प्रशासनिक सुधार विभाग के पूर्व सचिव और आरटीआई एक्सपर्ट प्रकाश कुमार के अनुसार सरकारी फंड लेने वाली सभी प्राइवेट कंपनियां आरटीआई के दायरे में आती हैं। दिल्ली सरकार के विभागों के पीआईओ से जुड़ी सारी जानकारी http://delhigovt.nic.in/rti पर उपलब्ध है। इस साइट पर दिए गए डाउनलोड लिंक पर क्लिक कर आरटीआई का फॉर्म भी डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें इसका प्रोफॉर्मा दिया है। आप चाहें तो सादे कागज पर भी तय शुल्क के साथ आवेदन दे सकते हैं। आरटीआई के सेक्शन 19 के तहत अपीलीय अधिकारी के पास आवेदन देने के लिए फॉर्म भी डाउनलोड किया जा सकता है।

बिजली कंपनियां: सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन के आदेशानुसार प्राइवेट बिजली कंपनियां एनडीपीएल, बीएसईएस आदि भी आरटीआई के दायरे में आती हैं। लेकिन इन कंपनियों ने सेंट्रल इन्फमेर्शन कमिशन के आदेश के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट से स्टे लिया हुआ है और अदालत में मामला लंबित होने के कारण फिलहाल इनके बारे में सूचना नहीं हासिल की जा सकती। हालांकि इन कंपनियों ने अपनी जो सूचना सरकार में दी हुई है, उन्हें सरकार के जरिये हासिल किया जा सकता है।

प्राइवेट फोन कंपनियां: इनकी जानकारी संचार मंत्रालय के जरिये ली जा सकती है।

स्कूल-कॉलेज: सरकारी सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूल भी इसके दायरे में आते हैं। सरकारी सहायता नहीं लेने वाले स्कूलों पर यह कानून नहीं लागू होता, लेकिन शिक्षा विभाग के जरिए उनकी जानकारी भी ली सकती है। कॉलेजों के मामले में भी यही नियम है।

कहां करें अप्लाई

संबंधित विभागों के पब्लिक इन्फमेर्शन ऑफिसर को एक ऐप्लिकेशन देकर इच्छित जानकारी मांगी जाती है। इसके लिए सरकार ने सभी विभागों में एक पब्लिक इन्फर्मेशन ऑफिसर यानी पीआईओ की नियुक्ति की है। संबंधित विभाग में ही पीआईओ की नियुक्ति की जाती है।

कैसे करें अप्लाई

सादे कागज पर हाथ से लिखी हुई या टाइप की गई ऐप्लिकेशन के जरिए संबंधित विभाग से जानकारी मांगी जा सकती है। ऐप्लिकेशन के साथ 10 रुपये की फीस भी जमा करानी होती है।

इनका रखें ध्यान

- किसी भी विभाग से सूचना मांगने में यह ध्यान रखें कि सीधा सवाल पूछा जाए। सवाल घूमा-फिराकर नहीं पूछना चाहिए। सवाल ऐसे होने चाहिए, जिसका सीधा जवाब मिल सके। इससे जन सूचना अधिकारी आपको भ्रमित नहीं कर सकेगा।

- एप्लिकेंट को इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि आप जो सवाल पूछ रहे हैं, वह उसी विभाग से संबंधित है या नहीं। उस विभाग से संबंधित सवाल नहीं होने पर आपको जवाब नहीं मिलेगा। हो सकता है आपको जवाब मिलने में बेवजह देरी भी हो सकती है।

- एप्लिकेशन स्पीड पोस्ट से ही भेजनी चाहिए। इससे आपको पता चल जाएगा कि पीआईओ को एप्लिकेशन मिली है या नहीं।

- आरटीआई एक्ट कुछ खास मामलों में जानकारी न देने की छूट भी देता है। इसके लिए एक्ट की धारा 8 देख लें ताकि आपको पता चल सके कि सूचना देने से बेवजह मना तो नहीं किया जा रहा है।

पोस्टल डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी

केंद्र सरकार के सभी विभागों के लिए 621 पोस्ट ऑफिसों को सहायक जन सूचना दफ्तर बनाया गया है। आप इनमें से किसी पोस्ट ऑफिस में जाकर आरटीआई काउंटर पर फीस और ऐप्लिकेशन जमा कर सकते हैं। वे आपको रसीद और एक्नॉलेजमेंट (पावती पत्र) देंगे। पोस्ट ऑफिस की जिम्मेदारी है कि वह ऐप्लिकेशन संबंधित अधिकारी तक पहुंचाए। इसके अलावा आप किसी भी बड़े पोस्ट ऑफिस में जाकर खुले लिफाफे में अपनी ऐप्लिकेशन दे सकते हैं। इस तरह आपको पोस्टल चार्ज नहीं देना होगा। आप स्टैंप लगाकर पोस्टल ऑडर या डिमांड ड्राफ्ट के साथ सीधे ऐप्लिकेशन को लेटर बॉक्स में भी डाल सकते हैं।

कैसे लिखें आरटीआई ऐप्लिकेशन

- सूचना पाने के लिए कोई तय प्रोफार्मा नहीं है। सादे कागज पर हाथ से लिखकर या टाइप कराकर 10 रुपये की तय फीस के साथ अपनी ऐप्लिकेशन संबंधित अधिकारी के पास किसी भी रूप में (खुद या डाक द्वारा) जमा कर सकते हैं।

- आप हिंदी, अंग्रेजी या किसी भी स्थानीय भाषा में ऐप्लिकेशन दे सकते हैं।

- ऐप्लिकेशन में लिखें कि क्या सूचना चाहिए और कितनी अवधि की सूचना चाहिए?

- आवेदक को सूचना मांगने के लिए कोई वजह या पर्सनल ब्यौरा देने की जरूरत नहीं। उसे सिर्फ अपना पता देना होगा। फोन या मोबाइल नंबर देना जरूरी नहीं लेकिन नंबर देने से सूचना देने वाला विभाग आपसे संपर्क कर सकता है।

कैसे जमा कराएं फीस

- केंद और दिल्ली से संबंधित सूचना आरटीआई के तहत लेने की फीस है 10 रुपये।

- फीस नकद, डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर से दी जा सकती है। डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर संबंधित विभाग (पब्लिक अथॉरिटी) के अकाउंट ऑफिसर के नाम होना चाहिए। डिमांड ड्राफ्ट के पीछे और पोस्टल ऑर्डर में दी गई जगह पर अपना नाम और पता जरूर लिखें। पोस्टल ऑर्डर आप किसी भी पोस्ट ऑफिस से खरीद सकते हैं।

- गरीबी रेखा के नीचे की कैटिगरी में आने वाले आवेदक को किसी भी तरह की फीस देने की जरूरत नहीं। इसके लिए उसे अपना बीपीएल सर्टिफिकेट दिखाना होगा। इसकी फोटो कॉपी लगानी होगी।

- सिर्फ जन सूचना अधिकारी को ऐप्लिकेशन भेजते समय ही फीस देनी होती है। पहली अपील या सेंट्रल इन्फेर्मशन कमिश्नर को दूसरी अपील के लिए भी 10 रुपये की फीस देनी होगी।

- अगर सूचना अधिकारी आपको समय पर सूचना उपलब्ध नहीं करा पाता और आपसे 30 दिन की समयसीमा गुजरने के बाद डॉक्युमेंट उपलब्ध कराने के नाम पर अतिरिक्त धनराशि जमा कराने के लिए कहता है तो यह गलत है। ऐसे में अधिकारी आपको मुफ्त डॉक्युमेंट उपलब्ध कराएगा, चाहे उनकी संख्या कितनी भी हो।

एक्स्ट्रा फीस

सूचना लेने के लिए आरटीआई एक्ट में ऐप्लिकेशन फीस के साथ एक्स्ट्रा फीस का प्रोविजन भी है, जो इस तरह है :

- फोटो कॉपी: हर पेज के लिए 2 रुपये
- बड़े आकार में फोटो कॉपी: फोटो कॉपी की लागत कीमत
- दस्तावेज देखने के लिए: पहले घंटे के लिए कोई फीस नहीं, इसके बाद हर घंटे के लिए फीस 5 रुपये
- सीडी: एक सीडी के लिए 50 रुपये

कब हो सकता है इनकार

कुछ खास हालात में ही जन सूचना अधिकारी आपकी ऐप्लिकेशन लेने से इनकार कर सकता है, जैसे कि :
- अगर ऐप्लिकेशन किसी दूसरे जन सूचना अधिकारी या पब्लिक अथॉरिटी के नाम पर हो।
- अगर आप ठीक तरह से सही फीस का भुगतान न कर पाए हों।
- अगर आप गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के सदस्य के रूप में फीस से छूट मांग रहे हैं, लेकिन इससे जुड़े सटिर्फिकेट की फोटोकॉपी न दे पाए हों।
- अगर कोई खास सूचना दिए जाने से सरकारी विभाग के संसाधनों का गलत इस्तेमाल होने की आशंका हो या इससे रेकॉर्डांे को देखने में किसी नुकसान की आशंका हो।

नोट- अगर आरटीआई को जन सूचना अधिकारी रिजेक्ट कर देता है, तो भी आवेदक को वह कुछ सूचनाएं जरूर देगा। ये हैं:
- रिजेक्शन की वजह
- उस टाइम पीरियड की जानकारी, जिसमें रिजेक्शन के खिलाफ अपील दायर की जा सके
- उस अधिकारी का नाम व पता, जिसके यहां इस फैसले के खिलाफ अपील की जा सकती है।

देरी होने पर कार्रवाई

आमतौर पर सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी 30 दिन में मिल जानी चाहिए। जीवन और सुरक्षा से संबंधित मामलों में 48 घंटों में सूचना मिलनी चाहिए, जबकि थर्ड पार्टी यानी प्राइवेट कंपनियों के मामले में 45 दिन की लिमिट है। ऐसा न होने पर संबंधित विभाग के संबंधित अधिकारी पर 250 रुपये रोजाना के हिसाब से 25 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। गलत या गुमराह करनेवाली सूचना देने या गलत भावना से ऐप्लिकेशन रिजेक्ट करने पर भी कार्रवाई का प्रावधान है।

अपील का अधिकार

- अगर आवेदक को तय समयसीमा में सूचना मुहैया नहीं कराई जाती या वह दी गई सूचना से संतुष्ट नहीं होता है तो वह प्रथम अपीलीय अधिकारी के सामने अपील कर सकता है। पीआईओ की तरह प्रथम अपीलीय अधिकारी भी उसी विभाग में बैठता है, जिससे संबंधित जानकारी आपको चाहिए।

- प्रथम अपील के लिए कोई फीस नहीं देनी होगी। अपनी ऐप्लिकेशन के साथ जन सूचना अधिकारी के जवाब और अपनी पहली ऐप्लिकेशन के साथ-साथ ऐप्लिकेशन से जुड़े दूसरे दस्तावेज अटैच करना जरूरी है।

- ऐसी अपील सूचना उपलब्ध कराए जाने की समयसीमा के खत्म होने या जन सूचना अधिकारी का जवाब मिलने की तारीख से 30 दिन के अंदर की जा सकती है।

- अपीलीय अधिकारी को अपील मिलने के 30 दिन के अंदर या खास मामलों में 45 दिन के अंदर अपील का निपटान करना जरूरी है।

सेकंड अपील कहां करें

- अगर आपको पहली अपील दाखिल करने के 45 दिन के अंदर जवाब नहीं मिलता या आप उस जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो आप 45 दिन के अंदर राज्य सरकार की पब्लिक अथॉरिटी के लिए उस राज्य के स्टेट इन्फर्मेशन कमिशन से या केंद्रीय प्राधिकरण के लिए सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन के पास दूसरी अपील दाखिल कर सकते हैं। दिल्ली के लोग दूसरी अपील सीधे सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन में ही कर सकते हैं।

- इसके अलावा कुछ और वजहों से आप सीआईसी जा सकते हैं, जैसे कि अगर आप संबंधित पब्लिक अथॉरिटी में जन सूचना अधिकारी न होने की वजह से आरटीआई नहीं डाल सकते।

- केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी आपकी ऐप्लिकेशन को संबंधित केंद्रीय लोक (जन) सूचना अधिकारी या अपीलीय अधिकारी को भेजने से इनकार करे

- सूचना के अधिकार एक्ट के तहत सूचना पाने की आपकी रिक्वेस्ट ठुकरा दी जाए या आधी-अधूरी जानकारी दी जाए।

सीआईसी का पता : सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिश्नर, अगस्त क्रांति भवन, भीकाजी कामा प्लेस, नई दिल्ली -66, फोन : 2616-1137

कैसे लिखें आवेदन

सेवा में,
जन सूचना अधिकारी
उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद
निर्माण खंड 16, वसुंधरा, सेक्टर 16, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

विषय : सूचना का अधिकार कानून, 2005 के तहत आवेदन

महोदय,

वसुंधरा सेक्टर 4 बी स्थित सेंट्रल पार्क के रखरखाव और उस पर होने वाली कुछ व्यावसायिक गतिविधियों के बारे में यह जानकारी दें।

1. इस पार्क का मेंटनेंस किसके पास है?

2. इस पार्क को डिवेलप करने में उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद ने कितनी राशि खर्च की?

3. क्या रखरखाव के लिए इस पार्क को किसी निजी संस्था को दिया गया है?

4. अगर हां, तो किन शर्तों पर दिया गया है?

5. पार्क में होने वाली अवैध गतिविधियों की जानकारी क्या आवास विकास परिषद को है?

मैं आवेदन शुल्क के रूप में 10 रुपये का पोस्टल ऑर्डर/मनी ऑर्डर (जो भी भेजना हो) साथ में भेज रहा हूं। कृपया सूचना का अधिकार एक्ट के अनुसार मुझे समय पर सूचना उपलब्ध कराई जाए।

आपका विश्वासी/आवेदक/भवदीय
करण सिंह चौहान
तारीख : 15.12.2012
पता : वसुंधरा, सेक्टर-5 बी, हाउस नंबर 1027, गाजियाबाद, यूपी, 201012

आरटीआई असर : एक मिसाल

गाजियाबाद के वसुंधरा में लेखक के फ्लैट के पास स्थित सेंट्रल पार्क को आवास विकास परिषद ने डिवेलप किया था। आवास विकास परिषद ने मेंटनेंस के लिए इसे सेक्टर 4 बी के आरडब्ल्यूए को सौंप दिया। इसके लिए कुछ शर्तें भी तय की गईं थीं। लेकिन इसके रखरखाव की जिम्मेदारी आते ही आरडब्ल्यूए ने शर्तों का उल्लंघन करते हुए इसका कमर्शल इस्तेमाल शुरू कर दिया। इसमें शादी समारोह आयोजित होने लगे। देर रात तक डीजे की आवाज से आसपास के लोग परेशान होने लगे। सुबह-शाम इस पार्क में टहलने आने वाले लोगों को दिक्कत होने लगी। बच्चों को भी खेलने में दिक्कत होने लगी। बढ़ती परेशानी से छुटकारा पाने के लिए आवास विकास परिषद के वसुंधरा गाजियाबाद स्थित ऑफिस से इस पार्क से रखरखाव और कमर्शल इस्तेमाल की जानकारी आरटीआई के तहत मांगी गई। पहले तो निर्माण खंड १६ के इग्जेक्युटिव इंजीनियर ने इसके कमर्शल इस्तेमाल की जानकारी होने से इनकार कर दिया और इसकी सूचना आवेदनकर्ता को भेज दी गई। इस बीच पार्क का कमर्शल इस्तेमाल होता रहा। इसके बाद सबूतों (फोटो और पेपर की कटिंग) के साथ सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर के पास अपील की गई। इसके बाद आवास विकास को अपनी गलती का अहसास हुआ। इसके बाद पार्क के बेजा इस्तेमाल की बात तो संबंधित विभाग ने मान ली और कहा कि इस पार्क को परिषद अपने कब्जे में ले लेगा। फिर यही हुआ। इसके बाद पार्क का कमर्शल इस्तेमाल रुक गया और इसके आसपास रहने वाले लोगों ने सुकून की सांस ली।

उत्तर प्रदेश

- नोएडा, गाजियाबाद सहित यूपी के लोग दूसरी अपील स्टेट इन्फर्मेशन कमिशन में कर सकते हैं। इसका पता है :

चीफ इन्फर्मेशन कमिश्नर, स्टेट इन्फमेर्शन कमिशन, छठी मंजिल, इंदिरा भवन, लखनऊ, यूपी- 226001
फोन : 0522-2288599/ 2288598
वेबसाइट : upsic.up.nic.in

हरियाणा
हरियाणा के लिए स्टेट इन्फर्मेशन कमिशन में दूसरी अपील कर सकते हैं। इनका पता है :

चीफ इन्फर्मेशन कमिश्नर, स्टेट इन्फर्मेशन कमिशन, हरियाणा, एससीओ नं.- 70-71 सेक्टर-8 सी, चंडीगढ़
फोन: 0172-२७२६५६८
वेबसाइट : cicharyana.gov.in

बिहार में नई पहल, फोन पर आवेदन

बिहार सरकार ने सूचना के अधिकार में पहल करते हुए 29 जनवरी 2007 को जानकारी सुविधा केंद्र की स्थापना की थी। कोई भी शख्स बिहार में किसी जगह से 15311 पर फोन करके सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत अपना आवेदन लिखवा सकता है, जिसे संबंधित दफ्तर के लोक सूचना पदाधिकारी को डाक या ईमेल द्वारा भेजा जाता है। लेकिन अब आम लोगों ऑनलाइन भी आवेदन दर्ज करा सकते हैं -
वेबसाइट: www.biharonline.gov.in/rti

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

जस्टिस ए. के. पटनायक और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ ने 13 सितंबर 2012 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए केंद्र सरकार की याचिका पर सरकार की नीयत पर सवाल उठाया। कोर्ट का मानना है कि सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन और स्टेट इन्फर्मेशन कमिशनों में नौकरशाहों को ही नियुक्त किया जा रहा है, जबकि इसमें न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति होनी चाहिए। हाई कोर्ट के पीठासीन या रिटायर्ड चीफ जस्टिस या सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस को ही आयोग का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। इससे ये आयोग स्वतंत्र होंगे और सरकार के प्रभाव से मुक्त होंगे। कोर्ट ने कहा कि सूचना का अधिकार कानून ने अच्छा काम किया है लेकिन इसकी खामियों के कारण बहुत नुकसान हो चुका है और इसे दूर करना होगा। इस समय सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन में मुख्य सूचना आयुक्त समेत ९ सदस्यों में से कोई भी न्यायिक बैकग्राउंड का नहीं है। सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन में एक चीफ इन्फर्मेशन कमिश्नर और 10 इन्फर्मेशन कमिश्नर होते हैं।

सुरक्षा का खतरा

ऐप्लिकेंट सुरक्षा को लेकर सीआईसी कई बार निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि अगर आवेदक को कोई खतरा महसूस होता है तो वह पुलिस अपनी सुरक्षा मांग सकता है।

ऐसा भी हो सकता है?

- कई बार आपका ऐप्लिकेशन ऑफिसों में रिसीव नहीं किया जाता है। अगर ऐसी कोई दिक्कत आए तो अपना आवेदन स्पीड पोस्ट से भेजें।
- कई बार ऐसे भी मामले आए हैं, जिसमें आवेदकों को झूठे केस में फंसा दिया जाता है। बिहार में हाल ही में ऐसे दो मामले सामने आए थे।
- मुजफ्फरपुर और मोतिहारी में दो आरटीआई कार्यकर्ताओं को झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भेज दिया गया है। एक मामले में जब आरटीआई कार्यकर्ता खुद घेरे में नहीं आया तो उसके पुत्र को ही एक गलत मुकदमा दर्ज कराकर जेल भेज दिया गया। मुजफ्फरपुर के मोतीपुर थाना क्षेत्र के रतनपुर गांव निवासी कृष्णा राय के पुत्र कुंदन राय को एक झूठे मुकदमे में जेल भेज दिया गया। उनकी गलती इतनी थी कि उन्होंने अपने प्रखंड के बीडीओ से कुछ ऐसी सूचना मांगी थी जिसके सामने आने से बीडीओ साहब भारी परेशानी में फंस सकते थे।
- इसी तरह मोतिहारी के संग्रामपुर निवासी राजेंद्र सिंह ने जब सूचना के अधिकार के तहत कुछ ऐसे मामलों में जानकारी मांगी, जिससे संबंधित अधिकारियों की फजीहत हो सकती थी तो उन्हें आर्म्स एक्ट के झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेज दिया गया।

अपने मोबाइल से भी पा सकते हैं जानकारी

अगर आपके पास एंड्रॉयड मोबाइल फोन है तो इस लिंक पर जाकर एप डाउनलोड कर सकते हैं:

ttps://play.google.com/store/apps/details?id=com.vbulletin.build_890&hl=en

इसके अलावा आप google play से भी अपने एंड्रॉयड मोबाइल फोन पर यह एप इंस्टॉल कर सकते हैं।

सीआईसी के पास पेंडिंग केस

सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन के पास 5 दिसंबर 2012 तक आरटीआई से संबंधित 27000 से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने बताया कि सीआईसी के हर कमिश्नर साल में औसतन 2800 केसों का निपटारा करते हैं, लेकिन आरटीआई के आवेदनों की संख्या बढ़ने से पेंडिंग केसों की संख्या बढ़ती जा रही है।

रविवार, 13 जनवरी 2013

आसानी से बनवाएं पैन कार्ड

आसानी से बनवाएं पैन कार्ड

PAN card
पैन कार्ड
पैन कार्ड एक ऐसा बेसिक डॉक्युमेंट है, जिसके जरिए आप कई तरह की सुविधाएं पा सकते हैं। 'जानना जरूरी है' सीरीज में इस दफा पेश है आपके हक में इस्तेमाल होने वाले इस पॉकेट साइज जरूरी कार्ड के बारे में पूरी जानकारी। इसे पेश कर रहे हैं प्रभात गौड़, प्रदीप नरुला, देवेंद्र कुमार, प्रवेश सिंह, रानू पाठक और अखिल सक्सेना:

क्या है पैन
- पर्मानेंट अकाउंट नंबर यानी पैन 10 डिजिट का एक अल्फान्यूमेरिक (अंक+अक्षर) नंबर होता है।
- यह इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इशू करता है।
- मिसाल के तौर पर एक पैन नंबर इस तरह का होता है: AAIPM5443H
- आप चाहे अपना अड्रेस बदलें, यहां तक कि एक राज्य से दूसरे राज्य में जाएं तो भी पैन नंबर वही रहता है। हां, पैन कार्ड पर अड्रेस बदलवाना होगा।
पैन क्यों
- इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए पैन होना जरूरी है।
- अगर किसी की सालाना आमदनी टैक्सेबल है तो उसे पैन लेना अनिवार्य है। ऐसे लोग अगर एम्प्लॉयर को पैन उपलब्ध नहीं कराते हैं तो एम्प्लॉयर उनका स्लैब रेट या 20 फीसदी में से जो ज्यादा है, उस दर से टीडीएस काट सकता है।
- इनकम टैक्सेबल नहीं है, तो पैन लेना अनिवार्य नहीं है। फिर भी बैंकिंग और दूसरी तरह के फाइनैंशल ट्रांजैक्शन के मामलों (जैसे : बैंक अकाउंट खोलना, प्रॉपर्टी बेचना-खरीदना, इनवेस्टमेंट करना आदि) में पैन की जरूरत होती है, इसलिए पैन सभी को ले लेना चाहिए।

कौन बनवा सकता है
- कोई भी भारतीय नागरिक पैन कार्ड बनवा सकता है।
- जरूरी नहीं कि वह कोई नौकरी या कारोबार करता हो।
- उम्र और क्षेत्र इसमें बाधा नहीं।
- एक बच्चा भी पैन कार्ड बनवा सकता है। यहां तक कि नवजात बच्चों के लिए भी पैन कार्ड बनवाया जा सकता है।

ऑनलाइन अप्लाई
- पैन कार्ड के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया जा सकता है।
- ऑनलाइन अप्लाई करने के लिए आप NSDL के पोर्टल www.tin-nsdl.com पर जाकर Services पर जाएं।
- वहां PAN में Apply Online ऑप्शन में New PAN पर क्लिक करें।

दूसरा तरीका यह भी है:
- www.incometaxindia.gov.in पर जाएं।
- लेफ्ट साइड में ऊपर PAN ऑप्शन में जाकर Apply Online पर क्लिक करें।
- वहां NSDL या UTIITSL के जरिये फॉर्म भरकर जमा कर सकते हैं।
- इसमें भी फीस वही 96 रुपये है।
- साइट से ही क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड या नेट बैंकिंग के जरिये यह पेमेंट कर सकते हैं।
- पेमेंट हो जाने के बाद और ऐप्लिकेशन जमा हो जाने के बाद अकनॉलिजमेंट फॉर्म का प्रिंटआउट लेकर उस पर अपना फोटो लगाएं और साइन करें।
- साथ में सभी जरूरी दस्तावेज (देखें लिस्ट) लगाकर आपको कूरियर या स्पीड पोस्ट से NSDL/UTIITSL को भेजना होगा।
- यह ऑनलाइन अप्लाई करने के 15 दिनों के भीतर पहुंच जाने चाहिए।

NSDL का पता है: NSDL, इनकम टैक्स पैन सर्विसेज यूनिट, नैशनल सिक्युरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड, तीसरा फ्लोर, सफायर चैंबर्स, बानेर, पुणे-411045
UTIITSL का पता है: UTIITSL, प्लॉट नं. 3, सेक्टर -11, सीबीडी, बेलापुर, नवी मुंबई - 400614

सर्विस सेंटर के जरिए भी कर सकते हैं अप्लाई
- पैन कार्ड बनवाने के सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए इनकम टैक्स विभाग ने यूटीआई इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नॉलजी सविर्सेज लिमिटेड (UTIITSL) को ऑथराइज किया है। UTIITSL की यह जिम्मेदारी है कि वह हर उस शहर में पैन बनाने के लिए सर्विस सेंटर बनाए, जहां इनकम टैक्स का ऑफिस है। इन पैन सर्विस सेंटरों की जानकारी आप यूटीआई/यूटीआई इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नॉलजी सविर्सेज लि. के ऑफिस से या लोकल इनकम टैक्स ऑफिस से हासिल कर सकते हैं।
- इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट से भी आप इन सेंटरों की जानकारी ले सकते हैं। इसके लिए www.incometaxindia.gov.in पर जाएं। लेफ्ट साइड में ऊपर PAN में जाएं। इसमें PAN Application Centres में जाकर UTIITSL पर क्लिक करें। इससे खुले पेज पर अपना राज्य और शहर भरने पर आपको पैन सर्विस सेंटरों की जानकारी मिल जाएगी। अपने नजदीक के किसी भी सेंटर पर जाएं और वहीं से फॉर्म खरीदकर अप्लाई कर दें। इन सेंटरों पर फॉर्म भरवाने में भी मदद की जाती है। फॉर्म जमा करने के बाद रसीद जरूर लें।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा
- नोएडा में चार अलग-अलग सेंटर हैं, जहां पर पैन कार्ड बनता है।
1. सेक्टर-26 स्थित जयपुरिया प्लाजा में तीसरे फ्लोर पर।
2. सेक्टर-5 स्थित ए-73 में।
3. सेक्टर-15 नया बांस स्थित भगवान सहाय पैलेस में।
4. सेक्टर-10 स्थित डी-106 में।

गाजियाबाद
- गाजियाबाद में पैन कार्ड का ऑफिस लोहिया नगर स्थित अग्रसेन भवन के नजदीक है।

फरीदाबाद
यूटीआई इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड टेक्नॉलजी एंड सविर्सेज लि.,
शॉप नंबर 6, दूसरी मंजिल, क्राउन कॉम्प्लेक्स,
1-2 चौक, एनआईटी, फरीदाबाद
फोन नंबर : 0129-2411597, 2411601

गुड़गांव
- एनएसडीएल और यूटीआई के अलग-अलग इलाकों में खोले गए किसी एक ऑफिस में, जो आपके इलाके से पास हो, पैन कार्ड बनता है।
- मिसाल के लिए सेक्टर 14, यूटीआई लक्ष्मी बाजार, यूटीआई सेक्टर 15, कोर्ट रोड, पेट्रोल पंप के पीछे स्थित ऑफिस में जाया जा सकता है।

ऑफिसों की पब्लिक डीलिंग टाइमिंग:
सोमवार से शुक्रवार: सुबह 10 बजे से दोपहर बाद 5 बजे तक।
शनिवार: 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक।
लंच: दोपहर 1 बजे से 2 बजे तक।

कौन-सा फॉर्म
पैन सर्विस सेंटर पर जाकर आपको फॉर्म 49A मिलेगा।
- फॉर्म मुफ्त मिलता है।
- इस फॉर्म को स्टेशनरी की किसी दुकान से अमूमन 5 रुपये में खरीद सकते हैं या इनकम टैक्स की साइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं।
- फॉर्म हमेशा ब्लैक इंक से ही भरें।

जरूरी डॉक्युमेंट्स
- हाल ही में लिए गए 2 कलर फोटो।
- आइडेंटिटी प्रूफ की सेल्फ अटेस्टेड फोटो कॉपी।
- अड्रेस प्रूफ की सेल्फ अटेस्टेड फोटो कॉपी।

आइडेंटिटी प्रूफ के लिए
(इन दस्तावेजों में से कोई भी एक)
- स्कूल छोड़ने का सटिर्फिकेट।
- दसवीं का सर्टिफिकेट।
- किसी मान्यता प्राप्त संस्थान की डिग्री।
- पासपोर्ट।
- वोटर आई कार्ड।
- ड्राइविंग लाइसेंस।
- राशन कार्ड।
नोट: अगर बच्चे का पैन बनवाना हो तो उसके माता-पिता या गार्जियन का आइडेंटिटी प्रूफ इस्तेमाल कर सकते हैं। एचयूएफ का पैन बनवाने के लिए कर्ता के डॉक्युमेंट्स इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

अड्रेस प्रूफ के लिए
- फोन बिल।
- बैंक पासबुक।
- बिजली/पानी का बिल।
- क्रेडिट कार्ड का स्टेटमेंट।
- एम्प्लॉयर सटिर्फिकेट।
- वोटर कार्ड।
- किराये की रसीद।

डाक्युमेंट्स न हों तो
अगर आपके पास कोई आइडेंटिटी या अड्रेस प्रूफ नहीं है तो अपने एरिया के एमपी, एमएलए या किसी गजटेड ऑफिसर द्वारा उसके लेटर हेड पर आपके बारे में लिखवाकर और स्टैंप लगवाकर देने से भी पैन कार्ड बनवाया जा सकता है।

फीस
- पैन कार्ड के लिए 96 रुपये चार्ज किए जाते हैं।
- यह फीस UTIITSL के पैन सर्विस सेंटर पर कैश, चेक या डिमांड ड्राफ्ट के जरिये फॉर्म जमा करने से पहले अदा की जा सकती है।

कैसे मिलता है तैयार पैन कार्ड
- फॉर्म भरकर जमा करने के 15 से 20 दिन के अंदर पैन कार्ड स्पीड पोस्ट के जरिये आपके घर के पते पर आ जाता है।

देरी हो तब
- अगर 20 दिन बाद भी न आए तो आप रसीद पर दिए 15 अंकों के कूपन नंबर के जरिये इंटरनेट से पैन कार्ड का स्टेटस चेक कर सकते हैं।
- इसके लिए www.utiitsl.com साइट पर Services के ऑप्शन पर जाएं।
- यहां PAN Card ऑप्शन मिलेगा, जहां Track your PAN Card लिखा दिखाई देगा।
- इसे क्लिक करते ही आपके सामने दो कॉलम आएंगे।
- इसमें कूपन नंबर के ऑप्शन में रसीद में दिया गया कूपन नंबर डाल दें। आपके सामने पैन कार्ड का स्टेटस आ जाएगा।

कॉमन गलती
- फार्म 49 ए के कॉलम नंबर 6 में शादीशुदा महिलाएं अक्सर गलती कर देती हैं। वह पिता के नाम के स्थान पर अपने पति का नाम लिख देती हैं।


जिनके पास पैन कार्ड है:
जानिए अपने पैन कार्ड को
-पैन कार्ड पर जानकारी होती है:
- पूरे नाम की
- डेट ऑफ बर्थ की
- पिता के नाम की

10 अंक+अक्षर हैं , जैसे ANSPT7149N
- पहले 5 अक्षर अंग्रेजी के होते हैं।
- इनमें से शुरू के 3 अक्षर AAA से ZZZ के बीच कुछ भी हो सकते हैं।
- चौथा अक्षर इनमें से कोई एक हो सकता है :
C- Company
P- Person
H- HUF (Hindu Undivided Family)
F- Firm
A- Association of Persons (AOP)
T- AOP (Trust)
B- Body of Individuals (BOI)
L- Local Authority
J- Artificial Judicial Person
G- Govt

पैन का पांचवां अक्षर बतलाता है :
- आपका सरनेम।
- अगले पांच नंबर 0001 से लेकर 9999 के बीच कुछ भी हो सकते हैं।

मिसाल
- मिसाल के लिए यह पैन नंबर AAIPM5443H लें।
- इसमें चौथा अक्षर यह बता रहा है कि यह किसी शख्स (Person) का पैन नंबर है।
- पांचवा अक्षर उसके सरनेम के बारे में है, जो M अक्षर से शुरू होता है।

बनवाने के फायदे
- आपको अपना पासपोर्ट बनवाना हो या कोई लाइसेंस, पैन कार्ड उपयोगी है।
- यह आईडी प्रूफ और सिग्नेचर प्रूफ के तौर पर स्वीकार किया जाता है।
- बैंक में अकाउंट खुलवाने के साथ कहीं से लोन लेना है तो इनमें आपको पैन कार्ड की बेहद जरूरत होगी।
- 50 हजार रुपए से ज्यादा की रकम जमा या निकासी पर भी पैन नंबर देना होता है।
- घर में बिजली, पानी, गैस का कनेक्शन लेने के लिए, वाहन खरीदने आदि में भी पैन कार्ड की जरूरत पड़ती है।

बदलाव और पैन कार्ड खो जाने पर
- किसी भी तरह के करेक्शन के लिए, पता बदलवाने के लिए या फोटो बदलवाने के लिए एक ही तरीका है, आपको दोबारा अप्लाई करना होगा और पूरी प्रक्रिया दोबारा से करनी होगी।
- इसके लिए Request for new PAN Card or/and Changes or Correction in PAN Data फॉर्म भरना होगा।
- यह फॉर्म पैन सर्विस सेंटर से भी लिया जा सकता है। फॉर्म के साथ 96 रुपये फीस देनी होगी।
- फॉर्म यहां से भी डाउनलोड कर सकते हैं : https://www.tin-nsdl.com/pan/downloads-pan.php
- अगर आपके पास पैन है, लेकिन पैन कार्ड नहीं है या खो गया है यानी आप अपने सभी पुराने डिटेल्स के साथ नया पैन कार्ड पाना चाहते हैं, तो आपको फॉर्म में हर कॉलम के लेफ्ट मोस्ट साइड में बने बॉक्स में कहीं भी टिक नहीं करना है, लेकिन सभी कॉलम भरने हैं।
- अगर आपके पास पैन है और आप उसमें कोई करेक्शन या बदलाव कराना चाहते हैं तो इसी फॉर्म के सभी कॉलमों को भरें और जिन सूचनाओं में आप बदलाव चाहते हैं, उनके लेफ्ट मोस्ट बॉक्स को टिक करते जाएं।
- फॉर्म के साथ पहले की तरह आइडेंटिटी प्रूफ और एडेस प्रूफ की सेल्फ अटेस्टेड फोटो कॉपी लगेगी।
- अड्रेस बदलने के लिए नया पैन चाहने वाले नए अड्रेस प्रूफ की सेल्फ अटेस्टेड फोटो कॉपी लगाएं।
- अगर पैन खोया या चोरी हुआ है तो साथ में खोए गए पैन कार्ड की नजदीकी पुलिस स्टेशन में कराई गई एनसीआर या शिकायत की कॉपी भी जमा करनी होगी।

शिकायत यहां करें
- आप अक्नॉलिजमेंट स्लिप पर लिखे पुणे हेड ऑफिस के हेल्पलाइन नेबर : 020-2721-8080 पर फोन करके या 020-2721-8081 पर फैक्स करके जानकारी ले सकते हैं।
- ईमेल है: tiniinfo@nsdl.co.in
- नई दिल्ली स्थिति एनएसडीएल के ब्रांच ऑफिस में कोई भी शिकायत कर सकते है।
पता है : 409/410 , अशोक एस्टेट बिल्डिंग, चौथी मंजिल, बाराखंभा रोड, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली 110001
फोन: 011-23353815 और 2335-3817

आपके सवालों के जवाब में पैन कार्ड से जुड़ी कुछ और जानकारी
हमने पैन कार्ड के बारे में जानकारी देकर एसएमएस और मेल के जरिए आपसे सवाल मांगे थे। हमारे पास आपके ढेरों सवाल आए। पेश कर रहे हैं, इनमें से चंद जरूरी सवालों के जवाब:

कैसे पता चले कि कहां से बनेगा पैन?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट से आप इन सेंटरों की जानकारी ले सकते हैं। इसके लिए www.incometaxindia.gov.in पर जाएं। लेफ्ट साइड में ऊपर PAN पर क्लिक करें। इसमें PAN Application Centres में जाकर UTIITSLपर क्लिक करें। इसके बाद अपना राज्य और शहर भरने पर आपको पैन सर्विस सेंटरों की जानकारी मिल जाएगी। या फिर अपने नजदीक के किसी भी पैन ऐप्लिकेशन सेंटर पर जाएं और वहीं से फॉर्म खरीदकर अप्लाई कर दें। इन सेंटरों पर फॉर्म भरवाने में भी मदद की जाती है। फॉर्म जमा करने के बाद रसीद जरूर लें।

पैन मिलने में देरी हो रही है। क्या करें?
- अगर फॉर्म भरने के 20 दिन बाद भी पैन कार्ड न आए तो आप रसीद पर दिए 15 अंकों के कूपन नंबर के जरिये इंटरनेट से पैन कार्ड का स्टेटस चेक कर सकते हैं। - इसके लिए www.utitsl.co.in साइट पर Services के ऑप्शन पर जाएं। यहां PAN Card ऑप्शन मिलेगा, जहां Track Your PAN Card पर क्लिक करें।

- इसमें कूपन नंबर के ऑप्शन में रसीद में दिया गया कूपन नंबर डाल दें। आपके सामने पैन कार्ड का स्टेटस आ जाएगा।

- अगर इसमें डिस्पैच्ड दिखाता है तो कुछ दिन इंतजार कर लें। फिर भी नहीं आता तो हो सकता है कार्ड खो गया हो। इसके बाद लोकल पैन कार्ड सर्विस सेंटर से संपर्क करें और नए सिरे से अप्लाई करें।

आईडी और अड्रेस प्रूफ न होने पर
अगर आपके पास कोई आईडी और अड्रेस प्रूफ नहीं है, तो भी चिंता की बात नहीं है। इसके लिए आप गजेटेड ऑफिसर से इस बारे में एक सर्टिफिकेट बनवाकर लगा सकते हैं। इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक यह सर्टिफिकेट एक तय प्रोफॉर्मा में बनाया जाना चाहिए। इस सर्टिफिकेट पर आपका एक हालिया फोटो और गजेटेड ऑफिसर के आईकार्ड की फोटो कॉपी लगाई जानी चाहिए।

एओ कोड की जानकारी
पैन कार्ड के लिए ऐप्लिकेशन फॉर्म जमा कराने के लिए आप जिस सर्विस सेंटर या लोकल इनकम टैक्स ऑफिस जाएंगे, वहीं से आपको अपने एरिया के एओ कोड की जानकारी मिल जागी। आयकर संपर्क केंद्र से भी फोन नंबर 0124-2438000 पर इस बारे में जानकारी ली जा सकती है।

इस तरह आसानी से बनवाएं पासपोर्ट

इस तरह आसानी से बनवाएं पासपोर्ट

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भारत में 3 रंग के पासपोर्ट इशू किए जाते हैं।
दुनिया सिमट कर छोटी हो गई है। इसे छोटा करने का बड़ा काम किया है देश-विदेश के आसान सफर ने। विदेश जाने के लिए सबसे पहली जरूरत है पासपोर्ट की। पासपोर्ट बनवाने पर पूरी जानकारी दे रहे हैं ललित वत्स :

पासपोर्ट के बगैर विदेश जाना मुमकिन नहीं। विदेश जाने के अलावा आईडी/अड्रेस प्रूफ के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

पासपोर्ट कैसे-कैसे
रंग के आधार पर

1. नीला : रेग्युलर और तत्काल। साधारण लोगों के लिए।
2. सफेद : ऑफिशल। सरकारी कामकाज से विदेश जाने वालों के लिए।
3. मरून : डिप्लोमैटिक। भारतीय डिप्लोमैट्स और सीनियर सरकारी अधिकारियों के लिए।

बनने की अवधि के आधार पर
1. सामान्य: 40-45 दिन
2. तत्काल: 3-7 दिन (इसका 2000 रु. ज्यादा खर्च है)

अगर आपको फौरन पासपोर्ट की जरूरत है तो एक हफ्ते के भीतर तत्काल पासपोर्ट बनाने की भी सुविधा है। रेग्युलर पासपोर्ट की तरह ही इसमें सारी जानकारियां ऑनलाइन भरनी होती हैं। साथ में और भी कुछ बातें हैं। एक तो आवेदक को एनेग्जर-आई भरना होता है , जिसमें वह अपने बारे में सारी घोषणा करता है। दूसरे एक फर्स्ट क्लास गजेटेड ऑफिसर की तरफ से वेरिफिकेशन देना होता है। वह ऑफिसर वेरिफाई करता है कि वह आवेदक को जानता है। तत्काल पासपोर्ट अप्लाई करने के तीन से सात दिन के अंदर मिल जाता है , जबकि सामान्य कैटिगरी का पासपोर्ट बनने में आमतौर पर 40-45 दिन तक लग जाते हैं। इसके बाद रजिस्टर्ड डाक से पासपोर्ट को आवेदक के घर भेजा जाता है।

पेजों के आधार पर
1. 36 पेज (बच्चों को 36 पेज की ही बुकलेट इशू होती है)
2. 60 पेज

वलिडिटी के आधार पर
1. 10 साल: सामान्य अडल्ट का पासपोर्ट 10 साल के लिए बनता है।
2. वयस्क होने तक: 18 साल से कम उम्र वालों का 5 साल या 18 साल का होने तक में जो भी कम हो , उसके लिए बनता है। 15 साल के किशोर 10 साल के लिए भी सामान्य पासपोर्ट बनवा सकते हैं।

कौन बनवा सकता है
- कोई भी भारतीय नागरिक।
- एक दिन की उम्र के बच्चे से लेकर किसी भी उम्र के लोग।
- पैरंट्स का पासपोर्ट होने पर बच्चे का पासपोर्ट सिर्फ ऐफिडेविट के आधार पर बनाया जा सकता है।

कौन-कौन से दस्तावेज जरूरी
एज प्रूफ: बर्थ सर्टिफिकेट या 10वीं क्लास के पास सर्टिफिकेट की सेल्फ अटेस्टेड फोटो कॉपी। जिन लोगों के पास डेट ऑफ बर्थ सर्टिफिकेट नहीं है , उन्हें फर्स्ट क्लास मैजिस्ट्रेट (एसडीएम और सीनियर अफसर) से अटेस्टेड सर्टिफिकेट की कॉपी लगानी होती है।

अड्रेस प्रूफ: वोटर आई कार्ड , पैन कार्ड , बैंक पासबुक या स्टेटमेंट , ड्राइविंग लाइसेंस , इंश्योरेंस पॉलिसी , जरनल पावर ऑफ अटर्नी , बिजली-पानी आदि के बिल की सेल्फ अटेस्टेड फोटो कॉपी। किराए के मकान में रहनेवालों को रजिस्टर्ड रेंट अग्रीमेंट के साथ एक और प्रूफ देना होता है। दूसरे प्रूफ के तौर पर पैन कार्ड , पासबुक , डीएल आदि की कॉपी दे सकते हैं।

आईडी प्रूफ: वोटर आई कार्ड , ड्राइविंग लाइसेंस , पैन कार्ड , आधार कार्ड , फोटो लगी पासबुक।

लेटेस्ट फोटो: फोटो पासपोर्ट सेवा केंद्र में ही खींचा जाता है।

फीस
1500 रुपए: 10 साल की वलिडिटी वाला 36 पेज का नया पासपोर्ट बनवाने या रिन्यू कराने पर।
2000 रुपए: 10 साल की वलिडिटी वाला 60 पेज का नया पासपोर्ट बनवाने या रिन्यू कराने पर।
3500 रुपए: तत्काल स्कीम के तहत 10 साल की वलिडिटी वाला 36 पेज का नया पासपोर्ट बनवाने या रिन्यू कराने पर।
4000 रुपए: तत्काल स्कीम के तहत 10 साल की वलिडिटी वाला 60 पेज का नया पासपोर्ट बनवाने या रिन्यू कराने पर।
3000 रुपए: पासपोर्ट खोने , चोरी होने आदि होने पर 36 पेज का ड्यूप्लिकेट पासपोर्ट बनवाने पर।
3500 रुपए: पासपोर्ट खोने , चोरी होने आदि होने पर 60 पेज का नया पासपोर्ट बनवाने पर।
1000 रुपए: 18 साल से कम उम्र वालों के लिए।

फॉर्म अब ऑनलाइन ही
कुछ समय पहले तक पासपोर्ट ऐप्लिकेशन जमा कराने के लिए घंटों लंबी लाइन लगती थी। कई बार चक्कर काटने पड़ते थे। लेकिन ऑनलाइन अप्लाई करने की सुविधा के बाद यह झंझट खत्म हो गया है। अब सभी जगह ऑनलाइन ही फॉर्म भरे जा रहे हैं।

कैसे करें ऑनलाइन अप्लाई
वेबसाइट www.passportindia.gov.in/ पर राइट साइड में Online Application Filing कॉलम में New User के सामने Register पर क्लिक करें। इसके बाद आप यहां मांगी गई जानकारी भरकर यूजर आईडी बनाएं। इसके बाद आपको ई-फॉर्म का ऑप्शन मिल जाएगा। अब अप्लाई करने की दो ही कैटिगरी हैं:

फ्रेश ऐप्लिकेशन: नए पासपोर्ट के लिए आवेदन।
री-इशू कैटिगरी: नए के अलावा बाकी सभी वजहों से आवेदन।

नए और री-इशू , दोनों के लिए ही साधारण फॉर्म है और एक तत्काल सेवा का फॉर्म है।

सही जानकारी जरूरी
अगर आप पहली बार अप्लाई कर रहे हैं , तो फ्रेश कैटिगरी के लिए बना फॉर्म भरें। आपसे पूछा जाता है कि आपको क्या चाहिए ? आपकी जरूरत का फॉर्म खुल जाएगा। पहली बार पासपोर्ट बनवा रहे हैं या दोबारा अप्लाई कर रहे हैं , सबसे पहले फॉर्म को ठीक से पढ़ें। अपनी पढ़ाई , जन्म , पते आदि के कागजात भी सामने रखें। हर शब्द , हर स्पेलिंग वही भरें , जैसा आपके कागजात में लिखा गया है , वरना ऐप्लिकेशन रिजेक्ट हो सकता है या करेक्शन कराने के लिए आपको चक्कर काटने पड़ सकते हैं।

कैसे-कैसे कॉलम
फॉर्म में पहला कॉलम नाम का है। इसमें अपने कागजात की स्पेलिंग के हिसाब से ही नाम लिखें। एक भी अक्षर का फर्क न हो। प्रूफ के दस्तावेजों में आपका नाम जैसे लिखा है , ठीक वैसे ही इसमें भरें। अगर आपने कभी अपना नाम बदला है , तो इस कॉलम में ये सब लिखें। जन्मस्थान का नाम , पुलिस स्टेशन , जिला , राज्य आदि लिखें। जन्म विदेश में हुआ है , तो लिखें। उससे संबंधित कागजात आपको अपॉइंटमेंट के समय दिखाने पड़ेंगे। अपना वर्तमान और स्थाई पता लिखें। दोनों एक ही हैं , तो एक ही जगह पर लिखें। रेफरेंस के लिए अपने जानकार किन्हीं दो लोगों के नाम , पते , फोन नंबर आदि लिखें। पहले कहां , कितने दिन रहे , इसका ब्योरा भी लिखें।

1989 के बाद जन्म
1989 से पहले जन्म लेने वालों को पासपोर्ट केंद्र में अपॉइंटमेंट के समय 10 वीं क्लास के उस सर्टिफिकेट की कॉपी जमा करानी होती है , जिसमें डेट ऑफ बर्थ भी लिखी होती है। 1989 के बाद जन्मे लोगों के लिए 10 वीं के सर्टिफिकेट की कॉपी के अलावा म्यूनिसिपल्टी आदि द्वारा जारी किए गए बर्थ सर्टिफिकेट की कॉपी लगाना भी जरूरी है।

कोर्ट केस की दें जानकारी
फॉर्म में दो कॉलम क्रिमिनल रेकॉर्ड के बारे में भी होते हैं। अगर किसी केस में सजा हुई है तो उसकी सही जानकारी देनी चाहिए। इसी तरह , अगर किसी के खिलाफ कोर्ट में केस पेंडिंग है , तो वह भी पासपोर्ट बनवा सकता है। लेकिन इसकी जानकारी फॉर्म में दी जानी चाहिए। ऐसे मामले में पासपोर्ट बनवाने के लिए संबंधित कोर्ट का एनओसी (नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) जरूरी है।

ईसीआर कैटिगरी
दसवीं से कम पढ़े-लिखे या अनपढ़ लोगों के लिए ईसीआर कैटिगरी होती है। इसमें विदेश मंत्रालय जांच कराता है कि आवेदक कहां जा रहा है , किस मकसद से जा रहा है आदि ? दसवीं पास हैं , 50 साल से ज्यादा उम्र है और टैक्स चुकाते हैं तो ईसीआर (इमिग्रेशन क्लीयरेंस रिपोर्ट) की जरूरत नहीं होती। 10वीं का सर्टिफिकेट लगने के बाद ऑटोमैटिक तरीके से ऑनलाइन ही ईसीआर लग जाता है। ईसीआर के बारे में पूरी जानकारी moia.gov.in पर पा सकते हैं।

अपॉइंटमेंट लेकर मिलें
सारी जानकारियां सही-सही भरकर फॉर्म को अपलोड कर दें। फॉर्म के अपलोड होने के तुरंत बाद ही आपका ऐप्लिकेशन रेफरेंस नंबर (एआरएन) बन जाएगा। इसके बाद अपॉइटमेंट में शेड्यूल करें और अपॉइंटमेंट की रसीद का प्रिंट आउट लेकर अपने पास रख लें। इस स्लिप के साथ आवेदक को अपने इलाके के पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीएसके) ऑफिस पहुंचना होगा।

ऑनलाइन फॉर्म भरने के दौरान ही आपको पासपोर्ट सेवा केंद्र का ऑप्शन भी मिलेगा। यहां आवेदक को अपने सभी ऑरिजिनल डॉक्युमेंट्स (जो ऑनलाइन फॉर्म भरते वक्त बताए गए थे) को अपने साथ लेकर आना जरूरी है। इसके साथ ही हर डॉक्युमेंट की सेल्फ अटेस्टेड फोटो कॉपी भी साथ में होना जरूरी है। काउंटर पर बैठे कर्मचारी एआरएन के साथ ऑरिजिनल डॉक्युमेंट्स देखने के बाद उनकी फोटोकॉपी फॉर्म के साथ जमा कर लेंगे।

कुछ दिक्कतें भी हैं ऑनलाइन सिस्टम की
ऑनलाइन अप्लाई करने के तमाम फायदों के बीच कुछ नुकसान भी हैं:
- अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोगों के खुद ऑनलाइन फॉर्म भरना मुमकिन नहीं है। फिर हर घर में कम्प्यूटर-इंटरनेट भी नहीं है। गांव-देहात में तो और भी ज्यादा परेशानी है।

- हरियाणा में दिल्ली के पास के नौ जिलों के लोगों की समस्या तो और बढ़ गई है। पहले सिस्टम में सोनीपत , रोहतक , झज्जर , गुड़गांव , रेवाड़ी , महेंद्रगढ़ , फरीदाबाद , नूह , पलवल के लोग अपने जिले में ही फॉर्म जमा करा देते थे। लेकिन अब उन्हें पहले तो ऑनलाइन अप्लाई करने का जुगाड़ करना पड़ता है , फिर वेरिफिकेशन के लिए पहले से कहीं ज्यादा दूर जाना पड़ता है। इन इलाकों के लोगों के लिए भी दिल्ली स्थित तीन और गुड़गांव स्थित एक पासपोर्ट सेवा केंद्र में ही वेरिफिकेशन के लिए जाने का विकल्प है। गुड़गांव को छोड़ कर बाकी सभी जिलों के लोगों को अब कहीं ज्यादा दूर जाना पड़ रहा है और वहां उनका वक्त भी कहीं ज्यादा लगता है।

- लोगों की एक बड़ी समस्या वेरिफिकेशन के लिए जाने का अपॉइंटमेंट लेने की है। अपॉइंटमेंट लेने के लिए आमतौर पर शाम 6 बजे के आस-पास ही साइट खुलती है , वह भी 5-10 मिनट के लिए। इतना प्रेशर होता है कि कुछ ही देर में साइट बंद हो जाती है और लोगों को फिर अगले दिन का इंतजार करना पड़ता है।

- अब लोग अपनी मर्जी के दिन पासपोर्ट ऑफिस नहीं जा सकते। उन्हें अपॉइंटमेंट की डेट के हिसाब से तय टाइम पर जाने के लिए छुट्टी तक करनी पड़ती है।

- वेरिफिकेशन में लगने वाला टाइम भी काफी ज्यादा है। समय पर जाने के बाद काम पूरा होने में ढाई-तीन घंटे भी लग जाते हैं।

- एक और बड़ी समस्या पहले फीस की रसीद काटने की है। फीस लेने के बाद सरकारी अफसर कागजात आदि की जांच करते हैं। कागजात में कमी या रिजेक्शन आदि होने पर फीस बेकार हो जाती है। दोबारा अप्लाई करने पर फिर से फीस भरनी होगी।

- पासपोर्ट के इच्छुक हर किसी को खुद जाना पड़ता है। ऐसे में मरीजों , बुजुर्गों , छोटे बच्चों के लिहाज से बड़ी दिक्कतें हैं। महीने भर के बच्चे को लेकर जाना आखिर कितना सही है ?

नोट: गंभीर मरीजों और इमर्जेंसी मामलों में अपॉइंटमेंट के बिना भी पासपोर्ट बनवाने पासपोर्ट सेवा केंद्र जा सकते हैं। अगर आवेदक को कोई गंभीर बीमारी है तो उसे उपस्थिति की छूट मिल सकती है। लेकिन इमर्जेंसी का मतलब इमर्जेंसी ही होना चाहिए और उसके सपोर्ट में कागजात भी साथ में होने चाहिए। इस तरह के मामलों में आरके पुरम स्थित ऑफिस में संपर्क किया जा सकता है।

जिनके पास है पासपोर्ट
पासपोर्ट री-इशू कराना
किसी भी वजह से पासपोर्ट री-इशू कराना हो तो उसके लिए एक ही फॉर्म है। पासपोर्ट आमतौर पर इन वजहों से फिर से इशू कराया जाता है:
पासपोर्ट की अवधि खत्म हो जाने पर : पासपोर्ट की अवधि खत्म होने से एक साल पहले या तीन साल बाद तक आप अप्लाई करते हैं तो पुलिस वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं होगी। इसके बाद अप्लाई करेंगे या पता आदि बदला होगा तो फिर से पुलिस वेरिफिकेशन होगा। स्टूडेंट अगर पढ़ाई आदि के लिए विदेश जाना चाहते हैं तो दो साल पहले तक अप्लाई कर सकते हैं , लेकिन इसके लिए उन्हें दाखिले संबंधी सबूत देने होंगे।

बुकलेट भर जाने पर : सारी डीटेल्स पहले जैसी ही हैं , तो बुकलेट भरने पर फॉर्म के साथ पुरानी बुकलेट की सेल्फ अटेस्टेड फोटो कॉपी लगानी होती है। इसके बाद फिर से 10 साल के लिए पासपोर्ट जारी होगा।

नाम या पते में बदलाव : इसके लिए सभी संबंधित कागजात की कॉपी जरूरी है।

पासपोर्ट फट जाने या खराब हो जाने पर : री-इशू कैटिगरी के तहत ड्यूप्लिकेट पासपोर्ट के लिए अप्लाई करना होगा।

पासपोर्ट खो जाने या चोरी हो जाने पर : अपने पास के पुलिस स्टेशन और पासपोर्ट ऑफिस में जानकारी दें। अगर विदेश में हैं तो भारतीय दूतावास को खबर करें। इसके बाद री-इशू के लिए अप्लाई करें।

शादी के बाद नाम और पता बदलना : ऐसी महिलाओं को मैरेज सर्टिफिकेट , पति के साथ फोटो , नए पते के प्रूफ के साथ दो भाषाओं के अखबारों में नाम बदलने संबंधी ऐड की कॉपी देनी होती है।

स्टेटस बदल जाने पर : अगर शादी के बाद आप पासपोर्ट री-इशू कराना चाहते हैं तो आपको पत्नी के साथ फोटो और उसके साइन के साथ हलफनामा दायर करना चाहिए कि अब आप शादीशुदा हैं। यह कंप्लसरी नहीं है लेकिन ऐसा करने से आगे बच्चे का पासपोर्ट बनवाने में मदद मिलेगी।

पासपोर्ट केंद्र कहां-कहां हैं
देश में पासपोर्ट बनाने के लिए कुल 114 केंद्र हैं , जिनमें फिलहाल सालाना करीब 60 लाख पासपोर्ट बनाए जा रहे हैं। इनमें 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीएसके) और केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय के तहत 37 पासपोर्ट ऑफिस हैं। दिल्ली में पासपोर्ट कागजात के वेरिफिकेशन और फीस जमा कराने के लिए तीन केंद्र बनाए गए हैं

1. पासपोर्ट सेवा केंद्र , हुडको , त्रिकूट- 3, भीकाजी कामा प्लेस , आर. के. पुरम , नई दिल्ली- 110066
2. पासपोर्ट सेवा केंद्र , ग्राउंड ऐंड फर्स्ट फ्लोर , हेराल्ड हाउस , 5 , बहादुर शाह जफर मार्ग , नई दिल्ली-110002
3. पासपोर्ट सेवा केंद्र , अग्रवाल ऑटो मॉल , प्लॉट नं. 2, डिस्ट्रिक्ट सेंटर शालीमार प्लेस , आउटर रिंग रोड , नई दिल्ली-110088

टाइमिंग: सोमवार से शुक्रवार , सुबह 9:30 से शाम 4:30 बजे तक , लंच: दोपहर 1:30 बजे से 2 बजे तक

नोट: इन सभी सेंटरों पर एटीएम की सुविधा भी है।

ऐसे होता है पीएसके में काम
पहला काउंटर : पासपोर्ट सेवा केंद्र में पहला काउंटर कस्टमर सर्विस एग्जेक्युटिव (सीएसई) का होगा। यहां आपको पासपोर्ट की किस्म के हिसाब से फीस जमा करने के बाद उसकी रसीद मिलेगी। आपके कागजात की स्कैनिंग होगी , आपके फोटो खींचे जाएंगे , फिंगर प्रिंट लिए जाएंगे और इसी के साथ सीएसई का काम खत्म।

दूसरा काउंटर : सीएसई से अगला काउंटर वीओ का है। वीओ सरकारी अफसर है। वह आपके फॉर्म की जांच करेगा। कागजात का वेरिफिकेशन करेगा। ऑरिजनल कागजात देखेगा। वेरिफिकेशन सही है , तो आप अगले काउंटर पर जाएंगे।

तीसरा काउंटर : यह ग्रांटिंग ऑफिसर (जीओ) का काउंटर है। जीओ जांच करते हैं कि क्या आपने पहले भी कभी अप्लाई किया था , क्या पहले की ऐप्लिकेशन और मौजूदा ऐप्लिकेशन में दी गई जानकारी में कोई फर्क है , फॉर्म में और कोई गलती तो नहीं है आदि। संतुष्ट होने पर जीओ आपकी ऐप्लिकेशन को मंजूरी दे देगा।

इस मंजूरी के बाद आपका आवेदन पुलिस क्लियरेंस के लिए भेज दिया जाएगा।

नाम या पता गलत हो तो...
तैयार पासपोर्ट में अगर आपका नाम या पता पासपोर्ट सेवा केंद्र की गलती से सही नहीं छपा है तो फौरन संबंधित पासपोर्ट सेवा केंद्र में शिकायत करें। वे गलती सुधार कर पासपोर्ट जारी करेंगे। इसके लिए अलग से कोई फीस नहीं देनी होगी।

एनसीआर में कहां-कहां बनता है पासपोर्ट
गाजियाबाद
कहां है पासपोर्ट सेवा केंद्र
पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीएसके) , ब्लॉक-ए ग्राउंड फ्लोर , पैसिफिक बिजनेस पार्क , प्लॉट नंबर 37/1 , साइट 4 , साहिबाबाद इंडस्ट्रियल एरिया , गाजियाबाद-201010
टाइमिंग: सोमवार से शुक्रवार , सुबह 10 से शाम 5 बजे तक , लंच : दोपहर 1:30 से 2 बजे तक
कहां करें शिकायत: 0120-272-1876/779

कई जिलों के बनते हैं पासपोर्ट: यहां पर 13 जिलों के पासपोर्ट बनाए जाते हैं। अलीगढ़ , आगरा , बागपत , बुलंदशहर , गौतमबुद्धनगर , गाजियाबाद , हाथरस , मथुरा , मेरठ , मुजफ्फरनगर , सहारनपुर , हापुड़ , शामली (प्रबुद्धनगर) जिलों के नागरिकों के पासपोर्ट पीएसके से बनाए जाते हैं।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कोई पासपोर्ट ऑफिस नहीं है , इसलिए यहां के लोगों को ऑनलाइन अप्लाई करने के बाद वेरिफिकेशन आदि के लिए गाजियाबाद पासपोर्ट सेवा केंद्र (पता लेफ्ट में) जाना होता है।

कहां करें शिकायत
पासपोर्ट समय पर नहीं मिलने पर गाजियाबाद में पासपोर्ट ऑफिसर से शिकायत की जा सकती है। समय से वेरिफिकेशन नहीं होने पर एसएसपी ऑफिस में शिकायत की जा सकती है।

गुड़गांव और फरीदाबाद
हरियाणा में भी सिर्फ ऑनलाइन अप्लाई किया जा सकता है। ऑनलाइन अप्लाई करने के बाद गुड़गांव के लोग पासपोर्ट सेवा केंद्र , एमएम टॉवर्स , प्लॉट नं. 8,9 , उद्योग विहार फेज-4 , ओल्ड दिल्ली रोड , गुड़गांव -122002 में जाकर औपचारिकताएं पूरी कर सकते हैं।
टाइमिंग: सोमवार से शुक्रवार , सुबह 9 बजे से शाम 4:30 बजे तक , लंच: दोपहर 1:30 बजे से 2 बजे तक , छुट्टी : शनिवार और रविवार।

फरीदाबाद के अलावा सोनीपत , रोहतक , झज्जर , रेवाड़ी , महेंद्रगढ़ , गुड़गांव , पलवल और नूह जिले के लोगों के पासपोर्ट संबंधी काम दिल्ली के 3 केंद्रों में भी करा सकते हैं।
टाइमिंग: सोमवार से शुक्रवार , सुबह 9 से शाम 4 बजे तक।

कहां करें शिकायत
रीजनल पासपोर्ट ऑफिस , हुडको , त्रिकूट-3 , भीकाजी कामा प्लेस , आरके पुरम , नई दिल्ली-110066 फोन : 011-2616-6292

प्रस्तुति : नोएडा से आशीष दूबे, ग्रेटर नोएडा से पवन सिंह, गायिजाबाद से रानू पाठक, गुड़गांव से बीपी पाण्डेय और फरीदाबाद से अखिल सक्सेना।

पासपोर्ट ऑफिस में अलग-अलग रहा अनुभव
रोमांचक लगा प्रॉसेस
रेनू की शादी हाल में हुई और वह आरके पुरम स्थित पासपोर्ट ऑफिस में बैठी हैं। रेनू पहली बार अपने पति के साथ विदेश जाएंगी। रेनू बताती हैं कि पासपोर्ट बनवाने की पूरी प्रक्रिया से गुजरना मेरे लिए काफी रोमांचकारी रहा। रेनू जैसे ही कई लोग विदेश यात्रा के लिए हजारों अरमान लिए पासपोर्ट बनवाने के लिए इस ऑफिस में बैठे थे। अब हर किसी को अपना पासपोर्ट बनवाने के लिए खुद ही जाना होता है। अपने-अपने टोकन नंबर का इंतजार करते लोगों का अनुभव अलग-अलग था।

बच्चे को संभालना है मुश्किल
विशू... अंदर आओ , नंबर आने वाला है। अपने बेटे के लिए पासपोर्ट बनवाने आए ललित और पत्नी संगीता के लिए सबसे बड़ी प्रॉब्लम थी 4 साल के बेटे विशेष को संभालना। संगीता बताती हैं कि यहां इंतजार करते हुए करीब 45 मिनट हो चुके हैं और अभी एक घंटा और लगेगा। छोटे बच्चे के लिए इतनी देर यहां रुकना काफी मुश्किल है।

बुजुर्गों रियायत की दरकार
ऐसी ही समस्या 78 साल के रघुवीर जी के साथ भी थी , जो अपने बेटे-बहू के पास पहली बार विदेश जा रहे हैं। रघुवीर सिंह घुटनों में तकलीफ की वजह से ज्यादा देर तक पैर लटका कर नहीं बैठ सकते। रघुवीर कहते हैं कि यहां इतनी देर तक बैठना काफी परेशानी भरा हो जाता है। मुझे लगता है कि 10 साल से छोटे बच्चों और सीनियर सिटिजंस को इस नियम में छूट मिलनी चाहिए। नहीं तो , बुजुर्गों बच्चों के लिए एक रेस्ट रूम तो होना ही चाहिए।

वक्त की बचत से खुश
पासपोर्ट बनवाने का आधे से ज्यादा प्रॉसेस पूरा कर चुके विवेक बेहद खुश नजर आ रहे थे। एमबीए की पढ़ाई के लिए लंदन जाने की तैयारी कर रहे विवेक कहते हैं कि मैं काफी खुश हूं और इस पूरे प्रॉसेस में ज्यादा टाइम भी नहीं लगा।
प्रस्तुति : दीपिका शर्मा

वर्ल्ड क्लास सिस्टम है यह
भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के 1995 बैच के अधिकारी अनुराग भूषण इस समय आरके पुरम , दिल्ली स्थित रीजनल पासपोर्ट ऑफिस के हेड (आरपीओ) हैं। इस ऑफिस में दिल्ली के अलावा हरियाणा के नौ जिलों के पासपोर्ट संबंधी काम होते हैं। भूषण कहते हैं कि यहां का सिस्टम वर्ल्ड क्लास है। ऑनलाइन सिस्टम बिल्कुल परफेक्ट है। इसमें सारी सूचनाएं 2437 उपलब्ध हैं। यह सिस्टम आपको एक तरह से गाइड भी करता चलता है कि कैसे क्या भरें ? साथ ही , कागजात के आधार पर यह भी बता देता है कि आपने किस कॉलम में क्या गलत भर दिया है ?

पासपोर्ट भरने के दौरान कॉमन गलतियां
- अक्सर लोग पूरा नाम नहीं देते या नाम की स्पेलिंग गलत लिख देते हैं।
- वेरिफाई करने पुलिस घर आती है तो लोग घर पर नहीं मिलते।
- दोबारा अप्लाई करते वक्त पुराने पासपोर्ट की जानकारी नहीं देते।
- दोबारा अप्लाई करते दी गई जानकारी पहले से अलग होती है।

नोट: जानकारी में कोई फर्क हो तो उसका सबूत जरूर दें। गलत जानकारी देने पर जुर्माने से लेकर कैद तक हो सकती है।

पुलिसकर्मी रिश्वत मांगे तो...
दिल्ली में पुलिस वेरिफिकेशन करने आनेवाला पुलिसकर्मी अगर परेशान करे , रिश्वत मांगे तो आप शिकायत कर सकते हैं :

डीसीपी स्पेशल ब्रांच
फोन: 2323-6208
ईमेल: dcpsbdelhi@gmail.com

डीसीपी विजिलेंस
पुलिस भवन , आसफ अली रोड , नई दिल्ली-2
फोन: 2323-4091
फोन (विजिलेंस कंट्रोल रूम): 2321-3355

कुछ ही दिनों में पुलिस रिपोर्ट आने के बाद आपकी जानकारी आगे बढ़ जाएगी और आपका पासपोर्ट ऑटोमैटिक तरीके से प्रिंट होने चला जाएगा।

वेबसाइट
www.passportindia.gov.in

हेल्पलाइन नंबर
1800-258-1800 ( टोल फ्री नंबर 24 घंटे सातों दिन) से अपनी ऐप्लिकेशन का स्टेटस जानने के साथ ही दूसरी दिक्कत हो तो उसकी जानकारी ले सकते हैं।

शिकायत कहां करें
अगर कोई शिकायत हो तो किसी भी पासपोर्ट सेवा केंद्र पर शिकायत कर सकते हैं। वेबसाइट पर नाम और पते दिए गए हैं। फिर भी सुनवाई न हो तो नीचे लिखे नंबर पर शिकायत कर सकते हैं:

क्षेत्रीय पासपोर्ट या उप पासपोर्ट अधिकारी ,
हुडको , त्रिकूट-3 , भीकाजी कामा प्लेस , आर. के. पुरम , नई दिल्ली-110066
फोन: 011-2616-5870